हमारे आस पास के पदार्थ
पदार्थ(Matter):- सभी वस्तुएँ जिन का द्रव्यमान होता है तथा जो स्थान गिरती है, वह पदार्थ कहलाते हैं। जैसे:- वायु, जल, धूल-कण आदि।
भारत के प्राचीन दर्शनिकों के अनुसार, पदार्थ को पांच मूल तत्वों में वर्गीकृत किया गया है, जिसे पंचतत्व कहते हैं। ये पंचतत्व : - वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश है। इनके अनुसार, सजीव व निर्जीव सभी पंचतत्व से मिलकर बने हैं।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणधर्म एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो प्रकार से वर्गीकृत किया है
1. पदार्थ का भौतिक स्वरूप
(i) पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है।
पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने होते हैं।
(ii) पदार्थ के कण अति सूक्ष्म होते हैं।
पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं। इतने छोटे होते हैं की हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
2. पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण
(i) पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
पदार्थ के कणों के बीच पर्याप्त रिक्त स्थान होता है।
जब हम चाय, कॉफी, नींबू-पानी बनाते हैं, तो एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों के रिक्त स्थानों में समाहित हो जाते हैं।
(ii) पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं।
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात, उसमें गतिज ऊर्जा होती है। तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है। अर्थात तापमान बढ़ने से कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
पदार्थ के कण अपने आप ही एक दूसरे के साथ अंत मिश्रित हो जाते हैं। ऐसा कणों के रिक्त स्थानों में समावेश के कारण होता है।
दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वत: मिलना ही विसरण कहलाता है। गर्म करने पर विसरण तेज हो जाता है।
(iii) पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है। यह बल कौनो को एक साथ रखता है। इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है।
पदार्थ की अवस्थाएँ:- पदार्थ की अवस्थाएँ विभिन्न उनके कणों के अलग-अलग विशेषताओं के कारण होती है।
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ हैं:-
(i) ठोस अवस्था:- वे सभी पदार्थ जिनका एक निश्चित आकार, स्पष्ट सीमाएँ तथा स्थिर आयतन यानी नगण्य संपीड्यता होती है, पदार्थ की ठोस अवस्थाएँ कहलाती है। जैसे- पुस्तक, कॉपी स्पंज, रबड़ आदि।
बाह्य बल लगाने पर भी ठोस अपने आकार को बनाए रखते हैं। बल लगाने पर ठोस टूट जाते हैं, लेकिन इनका आकार नहीं बदलता। इसलिए ये दृढ़ होते हैं।
बाह्य बल लगाए जाने पर रबरजैसी वस्तु अपना आकार बदल लेता है परंतु बल हटाए जाने पर पुन: अपना मूल आकार में आ जाता है। अत्यधिक बल लगाने पर यह टूट जाता है।
स्पंज में बहुत छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिनमें वायु का समावेश होता है। जब हम इसे दबाते हैं, तो वे वायु बाहर निकलती है, जिसे इसका संपीडन संभव होता है।
(ii) द्रव अवस्था :- वे सभी पदार्थ जिसका आयतन निश्चित परंतु आकार निश्चित नहीं होता है, पदार्थ की द्रव अवस्था कहलाते हैं। जैसे- जल, तेल, दूध आदि।
द्रव में बहाव होती है, जिनके कारण इनका आकार बदलती रहती है, इसीलिए दृढ़ नहीं है, परंतु तरल होते हैं।
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