जंतु

जंतु 

प्रत्येक जंतु एक दूसरे से भिन्न होती है। कुछ बड़े और कुछ छोटे होते हैं। कुछ शर्मीले तो कुछ मित्रवत होते हैं। 

     इस अध्याय में हम इनके समूह में रहना, खेलना, कार्य आदि जैसे क्रियाओं के बारे में जानेगें।

जंतु और उनके मित्र 

     हमारे आस-पास कई जन्तुएं, जिनमें से कुछ घरों में मित्रवत रहते हैं और कुछ जंगलों में। ये सभी समूह में रहते है। 

     मनुष्य भी एक सामाजिक प्राणी है, क्योंकि मनुष्य भी समूह में अन्य जंतुओं की तरह रहते है। 

जंतुओं (जीवों) के समूह 

     हमें ज्ञात हो चूका है कि जंतु समूह में रहना पसंद करते है और जंतुओं के समूह को गोवृन्द या झुण्ड कहते हैं। जैसे- गाय, भैंस, बकरी, घोड़ा आदि। ये सभी पालतू जानवर हैं, जो घरों में रहते है। 

     कुछ अन्य जंतु जैसे- हिरण, भालू और हाथी जंगलो में रहते हैं। 

     ये दोनों ही प्रकार के जन्तुएं समूह में रहते हैं। 

जंतुओं का समूह में रहना 

जंतु समूह में, एक-दूसरे की दुश्मनों से रक्षा करने के लिए रहते हैं।

अपने बच्चों की देख-भाल कर सकेें। 

ठण्डे के दिनों में, समूह में रहने से गर्माहट होती है। 

पेंग्विन, मछलियाँ, मधुमखियाँ आदि भी एक-दूसरे को गर्मी पहुंचने तथा विशेष कार्य के निष्पादन के लिए समूह में रहते हैं। 

जंतु समूह में रहकर एक-दूसरों की देख-भल और आक्रमणकारियो से ा;अपने बच्चों को सुरक्षित रखते हैं। 

भेड़ियों, बाघों जैसे दुश्मनों से अपने बच्चों की रक्षा हेतु ये एक कार्य वृताकार घेरा बनाते हैं जिनके भीतर इनके शिशु सुरक्षित रहते हैं। 

     जंतुओं का समूह में रहना हमें एकजुटता तथा आपसी सहयोग को बढ़ाने की शिक्षा प्रदान करता है।   

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