MY MOTHER
SUMMARY IN HINDI
लेखक की माँ, रामेश्वरम मस्जिद की पवित्र गली में सफाई करती है। लेखक माँ को सम्बोधित करते हुए कहते हैं तुम मेरे लिए स्वर्ग से आए हाथ के समान हो। युद्ध के दिनों में मुझे मीलों सफर करके मन्दिर के पास पढ़ाई करने जाना होता था। पुनः अरब टीचिंग स्कूल भी जाता था। रेलवे स्टेशन जाकर समाचारपत्र इकठ्ठा कर उन्हें लोगों की पहुचांने जाता था। सूर्योदय के बाद स्कुल जाना, शाम की लौटना, व्यापर और फिर पढ़ाई एक छोटे बच्चे के लिये काफी मुश्किल है। माँ तुमने पांच बार अल्लाह के सामने झुककर मुझे ये सब करने के काबिल बनाया है।
माँ ! तुम्हारी धार्मिकता ही तुम्हारे बच्चे की ताकत है। तुमने उस जरुरत मंद के लिए बहुत कुछ किया और उसमें विश्वास भार। मुझे आज भी तुम्हारी गोद में बिताई रात याद है। जब
रत को मैं दर्द, से रोता तो तुम्हारे सहलाते हाथ मेरे सरे दर्द, खींच लेते।
तुम्हारे प्यार, भरोसे और देखभाल ने मुझे इस दुनिया से लड़ने की ताकत दी। क़यामत के दिन फिर मिलेंगे माँ !
माँ ! तुम्हारी धार्मिकता ही तुम्हारे बच्चे की ताकत है। तुमने उस जरुरत मंद के लिए बहुत कुछ किया और उसमें विश्वास भार। मुझे आज भी तुम्हारी गोद में बिताई रात याद है। जब
रत को मैं दर्द, से रोता तो तुम्हारे सहलाते हाथ मेरे सरे दर्द, खींच लेते।
तुम्हारे प्यार, भरोसे और देखभाल ने मुझे इस दुनिया से लड़ने की ताकत दी। क़यामत के दिन फिर मिलेंगे माँ !
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