सम्बन्ध
लोगों के बिच बंधे हुए रिस्तें को सम्बन्ध कहतें हैं। जैसे- माता-पिता, भाई-बहन एवं दादा-दादी।
माँ एक शिशु के रूप में
प्रत्येक व्यक्ति नवजात शिशु , बालक/बालिका, वयस्क एवं वृद्ध अवस्थाओं से होकर गुजरता है।
उदहारण के लिए, प्रत्येक व्यक्ति का माँ पहले एक नवजात शिशु होती है, उसके बाद बाल्यावस्था में प्रवेश करती है और समय के साथ किशोरावस्था और फिर वृद्धावस्था से सम्बन्ध रखती है।
संबंध के कारण ही प्रत्येक परिवार में नये सदस्यों का जुड़ाव होती है। इसी प्रकार, परिवार में शादी-विवाह एवं शिशु जन्म के माध्यम से नये सम्बन्ध स्थापित होते हैं।
शिशुओं का जन्म
शिशुओं का जन्म प्रजनन के माध्यम से से होती है। प्रजनन के द्वारा ही माता-पिता का गुण बच्चों में आ जानतें हैं।
प्रजनन:- अपने ही जाति के नये सदस्यों की उत्पति की क्रिया प्रजनन कहलाती है।
जंतुओं में प्रजनन की दो विधियां हैं:-
प्रजनन:- अपने ही जाति के नये सदस्यों की उत्पति की क्रिया प्रजनन कहलाती है।
जंतुओं में प्रजनन की दो विधियां हैं:-
- अंडा देने वाले जीव-जंतु:- इसमें शिशु का विकास पहले अंडे के अंदर ही होता है। कुछ समय तक अंडों को सेने के बाद शिशु अंडे से बाहर निकलते हैं। जैसे:- मुर्गी, कबूतर , हंस आदि।
- शिशु को जन्म देने वाले जीव-जंतु :- इसमें शरीर के अंदर ही शिशु का विकास होता है। शिशु अपने माँ के गर्भ से कुछ समय सीमा के बाद ही जन्म लेतें हैं। जैसे:- मनुष्य , चमगादड़ , खरगोश , बन्दर , ब्लू-व्हेल आदि।
कुछ दम्पति किसी समस्या के कारण अपने संतान की उत्पति नहीं कर सकतें हैं तो इन परिस्थितिओं में वो दूसरें दम्पति से शिशुओं को गोद लेते हैं। गोद लेना एक वैधानिक प्रक्रिया है। इसमें गोद लेने वाले दम्पति शिशु के वैधानिक माता-पिता हो जते हैं। इस प्रकार के माता-पिता दत्तक दम्पति कहे जाते हैं। कुछ दम्पति असहाय शिशु को गोद लेते हैं ताकि उनकी भावनात्मक एवं भौतिक जरूरतों की पूर्ति हो सके।
इसी प्रकार, जो जीव-जंतु शिशु को जन्म देते हैँ, वे स्तनधारी जीव कहलातें हैं।
परिवार:- दो विपरीत लिंग के मध्य सामजिक मान्यता प्राप्त स्थाई शारीरिक सम्बन्ध हो तथा उनसे उत्पन संतान से मिलकर बने समूह को परिवार कहतें हैं। परिवार को प्रथम विद्यालय भी कहा जाता है।
परिवार के प्रकार :-
इसी प्रकार, जो जीव-जंतु शिशु को जन्म देते हैँ, वे स्तनधारी जीव कहलातें हैं।
परिवार
परिवार:- दो विपरीत लिंग के मध्य सामजिक मान्यता प्राप्त स्थाई शारीरिक सम्बन्ध हो तथा उनसे उत्पन संतान से मिलकर बने समूह को परिवार कहतें हैं। परिवार को प्रथम विद्यालय भी कहा जाता है।
परिवार के प्रकार :-
- एकल परिवार :- इस परिवार में पति-पत्नी एवं उनके अविवाहित बच्चें रहते हैं।
- संयुक्त परिवार / विस्तृत परिवार :- इस परिवार में दादा-दादी, चाचा-चची , चचेरे भाई-बहन आदि होते हैं।
- जरूरतमंदों को सहयोग।
- जिम्मेदारी।
- अच्छा श्रोता।
- दूसरों के तर्क का सम्मान करना।
परिदृश्य एवं अनुभूति
हमारे शरीर में पांच ज्ञाननेंद्रियाँ हैं, जो हमे अलग-अलग अनुभूति प्रदान करते हैं।
ये निम्न प्रकार के हैं :-
- आँख:- आँख से हम किसी वस्तु को देखते हैं।
- कान:- कानों से हम किसी आवाज को सुनते हैं।
- नाक:- नाक से किसी वस्तु की अनुभूति सूंघ कर करते हैं।
- जीभ:- जीभ से किसी वस्तु का अनुभूति चख कर करते हैं।
- त्वचा:- त्वचा से किसी वस्तु का अनुभूति स्पर्श के माध्यम से होती है।
जो लोग नेत्रहीन होते है वो लोग स्पर्श अनुभूति से ब्रेल-लिपि को पढ़ते है। यह लिपि मोटे कागज पर उभरी हुई बिंदुओं के क़तर के रूप में होती है। अंधे , बहरे और गूंगे लोग चिन्ह की भाषा समझते हैं।
ऐसे में यह हमरी जिम्मेदारी होती है कि इस प्रकार के लोगों की समस्या का निष्पादन किस प्रकार हो। यह वास्तविक परिदृस्य आपकी सहयोगात्मक एवं संवेदनात्मक अनुभूतियों को विकसित करता है।
इस पाठ के प्रश्नों के उत्तर को अपने से लिखें।
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