रेडियोएक्टिविटी

 रेडियोएक्टिविटी (Radioactivity)

  •  प्रकृति में प्राप्त पदार्थ जैसे यूरेनियम थोरियम रेडियम आदि स्वतः भेदी किरणे उत्सर्जित करते रहते हैं, ऐसी पदार्थों को रेडियो एक्टिविटी पदार्थ और पदार्थों के इस गुण को रेडियोएक्टिवता कहते हैं।
  •  फ्रांसीसी वैज्ञानिक हेनरी वेक्वेरल ने 1896 ईoमें अचानक रेडियोएक्टिवता की खोज की।
  •  रेडियोएक्टिव पदार्थ को उस मात्रा को एक बेक्वेरल(मात्रा) कहा जाता है, जो प्रति सेकंड एक विघटन या विकरण का उत्सर्जन करती है।
  •  1975 इसवी के पूर्व रेडियोएक्टिवता की इकाई को क्यूरी कहा जाता था।
  •  किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ की मात्रा जो प्रति सेकंड 3.70 x 10^10 विघटन करती है, क्यूरी कहलाती है।
 रेडियोएक्टिवता की खोज

 सर्वप्रथम हेनरी बैक्वेरेल ने प्रयोग करते हुए पाया कि यूरेनियम के निकट काले कागज में लिपटी फोटोग्राफी प्लेट काली पड़ गई। इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यूरेनियम से एक्स किरणों जैसी अदृश्य किरणें निकलती रहती है, जिन पर ताप और दाब का प्रभाव नहीं पड़ता है। इन्हीं के नाम पर प्रारंभ में इन किरणों को बेक्वेरल किरणे और बाद में रेडियोएक्टिव किरणे कहा जाने लगा।
 मैडम क्यूरी वश्मिट ने स्वाति विघटन का गुण थोरियम में भी पाया। मैडम क्यूरीपेरी क्यूरी ने पिच ब्लैण्ड से 30 लाख गुना अधिक रेडियोएक्टिव तत्व रेडियम की खोज की। वर्तमान में लगभग 40 प्राकृतिक तथा अनेक कृत्रिम रेडियोएक्टिव तत्वों की खोज हो चुकी है।

 रेडियो एक्टिव किरणें

 1902 ईo में रदरफोर्ड ने रेडियोएक्टिव तत्व को शीशे के प्रकोष्ठ (Lead Chamber) मैं रख कर निकलने वाली किरणों को विद्युत क्षेत्र से गुजार कर निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया और इन्हें अल्फा, बीटा, गामा नाम से अभिहित किया गया।

 अल्फा किरण
  •  यह धन आवेशित होते हैं इन पर 21 आई धन आवेश होता है यह हिलियम नाभिक दो (He^2+) होते हैं इनका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु द्रव्यमान का चार गुना होता है।
  •  यह विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में ऋण आवेशित प्लेट की ओर मुड़ जाती है।
  •  इनका वेग 2.3 x 10^ 9 सेंटीमीटर/ सेकंड ( प्रकाश के वेग का 1/10) होता है।
  •  द्रव्यमान अधिक होने के कारण गतिज ऊर्जा अधिक होती है।
  •  इनका भेदन क्षमता गामा एवं बीटा किरणों की अपेक्षा कम होती है अतः 1 मिली मीटर मोटी एलुमिनियम चादर को भेद नहीं पाती है।
  •  फोटोग्राफी प्लेट को अत्यधिक प्रभावित करती है।
  •  अल्फा किरण कुछ पदार्थों से टकराकर स्फुरदीप्ती उत्पन्न करती है।
  •  गैसों को आयनिक रीत करने की प्रबल क्षमता होती है। यह बीटा किरणों की अपेक्षा 100 गुना व गामा की तुलना में 10,000 गुना आयनन क्षमता रखती है।
 बीटा किरण
  •  तीव्र गति से चलने वाला इलेक्ट्रॉन पुंज होती है। इन पर ऋण आवेश होता है।
  •  फोटोग्राफी प्लेट पर अल्फा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।
  •  इसकी भेदन क्षमता अल्फा किरणों से एक 100 गुना अधिक होती है।
  •  इनका वेट 2.79 x 10^10 सेमी/सेकण्ड ( लगभग प्रकाश के वेग के बराबर) होता है।
  •  गैसों को आयनित करने का गुण होता है।
  •  कुछ पदार्थ से टकराने पर अल्फा किरणों से कम स्फुदीप्ती बंद करती है।
 गामा किरणें
  •  गामा किरणें विद्युत चुंबकीय तरंगे होती है। इन की तरंग धैर्य सबसे कम होती है।
  •  यह आवेश रहित होने के कारण विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित नहीं होती है।
  •  यह फोटोग्राफी प्लेट को अल्फा एवं बीटा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।
  •  इनकी भेदन क्षमता अधिक होती है। ये 100 सेमी मोटी एलुमिनियम चादर को भी भेद सकती है।
  •  इनका भी एक प्रकाश के वेग काश केवल एक बराबर होती है।

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